Aarti of Lord Ganesha (Jai Ganesh Jai Ganesh Deva): गणेश भगवान की आरती (जय गणेश जय गणेश देवा)
भगवान गणेश सभी देवों में प्रथम पूज्य देव हैं। प्रथम पूज्य श्री गणेश भगवान की जय. गणेश भगवान की पूजा के बिना कोई भी पूजा सम्पूर्ण नहीं मानी जाती। बप्पा की पूजा से मनुष्य को यश, वैभव और ज्ञान की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में पूजा के बाद आरती की जाती है। मान्यता है श्री गणेश जी की आरती से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों को मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं।
यहां हम श्री गणेश के 3 प्रसिद्ध आरतियाँ का संकलन दे रहे हैं।
1. a) जय गणेश जय गणेश हिंदी में b) Jai Ganesh Deva in English
आप भी श्री गणेश की आरती से अपने कार्यों को मंगलमय बनाएं।
|| श्री गणेश आरती ||
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी॥
पान चढ़े फूल चढ़े
और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥
सूर श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
॥ Shri Ganesh ji Ki Aarti ॥
Jai Ganesh, Jai Ganesh,
Jai Ganesh Deva।
Maata Jaaki Paarvati,
Pita Mahaadeva॥
Ek danta Daya vanta,
Char Bhuja dhaari।
Mathe Par Tilak Sohe,
Moose Ki Sawaari॥
Paan Chadhe, Phool Chadhe,
Aur Chadhe Mewa।
Ladduan Ka Bhog Lage,
Sant Karen Sewa॥
Jai Ganesh, Jai Ganesh,
Jai Ganesh Deva।
Maata Jaaki Paarvati,
Pita Mahaadeva॥
Andhe Ko Aankh Deta,
Kodhina Ko Kaya।
Banjhan Ko Putra Det,
Nirdhan Ko Maaya॥
‘Soor’ Shyam Sharan Aaye,
Saphal Kijye Sewa।
Maata Jaaki Paarvati,
Pita Mahaadeva॥
Deenana Ki Laaj Rakho,
Shambhu Sutawari।
Kamana Ko Poorna Karo
Jag Balihaari॥
Jai Ganesh, Jai Ganesh,
Jai Ganesh Deva।
Maata Jaaki Paarvati,
Pita Mahaadeva॥
॥ आरती – सुखकर्ता दुखहर्ता ॥
सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची,
नुरवी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची।
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची,
कंठी झळके माळ मुक्ताफळाची।।
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती,
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती।
जय देव जय देव।
रत्नखचित फरा तुज गौरीकुमरा,
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा।
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा,
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया।।
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति,
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति।
जय देव जय देव।
लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना,
सरळ सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना।
दास रामाचा वाट पाहे सदना,
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना।।
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति,
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति।
जय देव जय देव।
॥ आरती – शेंदुर लाल चढायो ॥
शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुखको।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरीहरको॥
हाथ लिये गुडलड्डू साई सुरवरको।
महिमा कहे न जाय लागत हूँ पदको॥
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता॥
अष्टी सिद्धी दासी संकटको बैरी।
विघ्नविनाशन मंगलमूरत अधिकाई॥
कोटीसुरजप्रकाश ऐसी छबि तेरी।
गंडस्थलमदमस्तक झुले शशिबहारी॥
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता॥
भावभगतिसे कोई शारणागत आवे।
संतति संपति सबही भरपूर पावे॥
ऐसे तुम महाराज मोको अति भवे।
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे॥
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता॥
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेख लोक मान्यताओं, हमारे पूज्य साधु संत और महान कथा वाचकों के दिए गए ज्ञान पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए AbhinavQuotes.Com उत्तरदायी नहीं है।